मेरी अना- भाग 19
भाग 19
जब आप प्यार में होते हैं तो जीवनसाथी की कमियाँ नजरअंदाज कर देते हैं और जब मनमुटाव-झगड़े होने लगते हैं तब वहीं कमियाँ विकराल रूप धारण कर लेतीं है और कलह की वजह बन जाती है। अनिकेत को अना पूरी चाहिए थी टुकड़ों में नहीं।
निशा फर्स्ट फ्लाइट से नौकरी छोड़कर दूसरी एयरलाइन्स में नौकरी करने लगी थी। दिल्ली में जब भी उसको रुकने की जरूरत होती थी तो वो अना के घर रुक जाती थी। अना ऑन ड्यूटी थी और निशा का दिल्ली में हाल्ट था। उसने अना से कुछ दिन पहले ही बात की थी उसके फ्लाइंग शेड्यूल के बारे में। अना ने बताया था उसे कि आजकल अनिकेत घर पर ही है।
कुछ देर बाद अनिकेत के घर के दरवाज़े के बाहर निशा खड़ी थी।
निशा को यूँ अचानक देख अनिकेत हैरान हो गया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अना की गैरमौजूदगी में उसे निशा को घर में आने देना चाहिए कि नहीं?
तभी निशा कहती है…..
अना से पूछकर आयीं हूँ अनिकेत, चाहे तो फोन करके देख लो। निशा को मालूम था अनिकेत कितना भी फोन मिला ले अना को, इस समय लगने वाला नहीं है, अना फ्लाइट में थी।
अनिकेत निशा की मौजूदगी में खुद को बेहद असहज महसूस कर रह था। उसने अंदर आते ही अनिकेत से कहा कि वो उससे ज़रूरी बात करना चाहती है।
अनिकेत चुपचाप सामने बैठकर उसकी बात सुनने लगा….
अनिकेत जब पहली बार तुम अना से मिलने मुम्बई आये थे, उसी दिन से मैं तुम्हारे व्यक्तित्व से प्रभावित होने लगी थी। अना का हर वक़्त तुम्हारे बारे में गर्व से बात करना, तुम्हारी तारीफें करना ….. तुम्हारी जड़ों को मेरे भीतर और भी मजबूत करता गया। जिस तरह से तुम अना को देखते हो, उसे छूते हो, उस स्पर्श, उस प्रेम से भरी नजरों की आस में मेरा दिल भी तड़पने लगा। मैं तुम्हें चाहने लगी हूँ अनिकेत।
निशा की बातें सुनकर अनिकेत ने गुस्से से कहा....
अपनी सहेली के पति से ऐसी बातें करने में तुम्हें जरा सी भी शर्मिंदगी महसूस नहीं हो रही निशा?
प्यार करने में कैसे शर्मिंदगी अनिकेत?
मैं शादीशुदा हूँ निशा और मेरी जिंदगी में अना की जगह कभी कोई और नहीं ले सकता।
अपने शादीशुदा होने की दुहाई मत दो, अना ने बताया था तुम्हारे बीच होते झगड़ों के बारे में।
हमारे रिश्ते में क्या होता है क्या नहीं, वो हमारा व्यक्तिगत मामला है।
तुम इसी वक़्त यहाँ से चली जाओ निशा।
ठीक है अनिकेत जैसी तुम्हारी मर्जी। लेकिन यह सब तुम अना से मत कहना। मैं नहीं चाहती हमारी दोस्ती में दरार आए। मेरे मन में जो भावनाएं थी तुम्हारे लिए वो मैंने व्यक्त कर दी ताकि जिंदगी में पीछे मुड़कर देखूं तो मन में मलाल ना रहे अपने ही जज़्बातों को अनसुना करने का।
अनिकेत की ना ने निशा के अहंकार को चोट पहुंचायी थी, वो अपमानित सा महसूस कर रही थी भीतर ही भीतर। एक ही रास्ता दिख रहा था अनिकेत को चोट पहुँचाने का, वो थी अना। अना का दिल टूटा तो अनिकेत भी टूट जाएगा।
अनिकेत ने जवाब में कुछ नहीं कहा और इंतज़ार करने लगा निशा के जाने का। निशा उठकर जाने ही लगी थी कि तभी उसका सिर चकराने लगा। वो गिरने ही वाली थी कि अनिकेत ने उसे थाम लिया। अनिकेत के स्पर्श से उसके मन में लालसा फिर से जागने लगी थी। लेकिन इन इच्छाओं का कोई भविष्य नहीं था। निशा उसे कहती है कि उसे लो बीपी की समस्या है। अगर उसकी इजाज़त हो तो वो थोड़ा आराम करके चली जायेगी।
वो अनिकेत के कमरे में आराम करने चली जाती है और अनिकेत अपने आपको इस दम घोंटू माहौल से निकालने के लिए घर से बाहर चला जाता है अपने दोस्त के यहाँ। लेकिन जाते वक़्त गलती से मोबाइल घर पर ही छूट जाता है।
रातभर अनिकेत घर वापिस नहीं आता।
अना सुबह घर आती है तो देखती है घर में अनिकेत नहीं होता । अनिकेत को फोन मिलाती है तो पता चलता है कि उसका फोन घर पर ही है। बैडरूम का दरवाज़ा खोलती है तो अंदर से भीनी-भीनी खुशबू आ रही होती है लेडीज़ परफ्यूम की। बिस्तर पूरा अस्त व्यस्त होता है और उस पर अनिकेत की शर्ट पर पड़े लिपस्टिक के निशान, सिलवटों में लिपटी उसकी ड्रेस इशारा कर रहे थे रात की कारगुजारियों का।
वो समझ नहीं पा रही थी इन चीजों का मतलब। यह सब देखकर सिर घूम रहा था उसका, तभी ध्यान साइड टेबल पर पड़ी चिट्ठी पर जाता है। अना जैसी ही चिठ्ठी पढ़ना शुरू करती है वैसे ही उसकी आँखें बरसना……
"मुझे माफ़ कर दो अना। कल रात अनिकेत और मेरे बीच में जो हुआ वो नहीं होना चाहिए था। मेरा कल हाल्ट था दिल्ली में, इसलिए तुम्हारे घर आ गयी थी। तुम्हें कई बार फोन किया बताने के लिए लेकिन तुम्हारा फोन बंद आ रहा था। वैसे भी तुमने कहा था कि मैं कभी भी तुम्हारे घर आकर रुक सकती हूँ। अनिकेत ने भी तुम्हें यह बताने के लिए कई बार फोन किया था पर लगा नहीं।
मैंने फ्रेश होकर तुम्हारी ड्रेस पहन ली थी, याद होगा तुम्हें एक बार मुझे तुम्हारी ड्रेस इतनी पसन्द आयी थी कि मैंने तुमसे माँग ली थी और तुमने मुझे ख़ुशी-ख़ुशी दे भी थी।
बीपी लो होने के कारण मैं बाथरूम में गिर गयी थी। अनिकेत ने मुझे गोद में उठाया और अंदर बिस्तर पर लेटा दिया आराम करने के लिए। उन लम्हों में ना चाहते हुए भी कुछ ऐसा हो गया जो नहीं होना चाहिए था। मैं अनिकेत को चाहते हुए भी नहीं रोक पायी, वो बार-बार मुझे अना कहकर पुकार रहा था।
जब तक होश आया तब तक देर हो चुकी थी। अनिकेत और मुझे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। अनिकेत परेशान होकर घर से निकल गया और कुछ देर बाद मैं भी निकल गयी। अनिकेत तुमसे बहुत प्यार करता है अना, शायद तुम्हारे उसे समय ना देने के कारण यह सब हुआ, वो मुझमें तुम्हें तलाश रहा था।
हो सकता है इस घटना का सारा दोष वो मुझ पर डाल दे कि मैंने उसे बहकाने की कोशिश की थी। पुरुष अक्सर सारा दोष औरत के सिर पर मढ़कर खुद को पवित्र और औरत को चरित्रहीन साबित कर देते हैं। वो यह भी कह सकता है कि रात को वो घर में था ही नहीं और शायद किसी को झूठा गवाह बनाकर भी ले आए मुझे झूठा साबित करने के लिए। यही कहना चाहूंगी अना कि पहल तुम्हारे अनिकेत ने की थी जिसे अंजाम तक मैंने पहुँचाया था। खैर मैं तुमसे सच नहीं छिपाना चाहती थी, इसलिए सब सच-सच बता दिया। हो सके तो मुझे माफ़ कर देना अना। हमारी दोस्ती ऐसे खत्म होगी मालूम ना था।
निशा
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निशा का खत पढ़ने के बाद अना निढाल सी बिस्तर पर पड़ गयी थी। ऐसा लग रहा था जैसे उसके शरीर से किसी ने प्राण निकाल लिए हो। लेकिन जैसे ही उसे एहसास हुआ इस बिस्तर पर तो अनिकेत और निशा ने वक़्त गुजारा है, वो उसी पल वहाँ से उठ गयी और बाहर सोफे पर बैठकर अनिकेत का इंतज़ार करने लगी।
कुछ समय बाद जब अनिकेत घर आया तो उसने देखा अना सोफे पर सिमटकर सोयी हुई थी अपनी एयरहोस्टेस की यूनिफार्म में, चेहरे पर धुले हुए आईलाइनर के काले निशान साफ़ दिख रहे थे। सोफे के पास ही उसके दो बड़े-बड़े सूटकेस रखे हुए थे।वो समझ गया था उसकी बर्बादी का काउंट डाउन शुरू हो चुका है।
सोनिया
Sandhya Prakash
22-Mar-2022 01:39 PM
Oh no ye inkar bhi kbhi kbhi brbadiyo ki vjh bn jata h ye nishaa nam ke hisab ki nikli😠😠😠
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Arshi khan
03-Mar-2022 10:28 PM
Nice
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